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भारतीय बैंकिंग सिस्टम को रिज़र्व बैंक ने दो भागों में बांटा है
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
1. Scheduled Bank ( अनुसूचित बैंक ) 2. Non-Scheduled ( नॉन -अनुसूचित बैंक )
- Public sector banks ( सरकारी बैंक )
- Private sector banks ( निजी बैंक )
- Foreign banks ( विदेशी बैंक )
- Co-operative bank
- Development banks
- Small Finance Banks
- Payments bank
1. Public sector banks पब्लिक सेक्टर बैंक
सरकारी बैंक का अर्थ होता है कि जिस बैंक में 50% से ज्यादा हिस्सेदारी सरकार की होती है या फिर ये बोल सकते है कि बैंक के 50% से ज्यादा शेयर सरकार के पास होते है उन बैंको को सरकारी बैंक कहाँ जाता है।
2017 तक भारत मे 21 सरकारी बैंक और 6 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखाओं को मिलाकर 27 सरकारी बैंक भारत के काम करते थे।
2019 तक बैंको के विलय होने के कारण अब भारत मे 12 सरकारी बैंक कार्य कर रहे है। जैसे स्टेट बैंक इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बरोडा, आदि
2. Private bank ( प्राइवेट बैंक )
प्राइवेट बैंक से आशय है कि जब किसी बैंक की 50% से ज्यादा हिस्सेदारी निजी लोगो के पास होती है या फिर 50% से ज्यादा शेयर निजी लोगो के हाथ मे होते है और इन बैंकों के ऑपरेशन पर भारत सरकार का नियंत्रण नही होता है इस लिए ही प्राइवेट बैंक और सरकारी बैंक के ब्याज दरों में अंतर पाया जाता है।
अभी भारत मे कुल मिलाकर 21 प्राइवेट बैंक कार्य कर रहे है जैसे ICICI BANK, AXIS BANK, BANDHAN BANK, kotak mahindra bank etc.
3. Foreign bank ( विदेशी बैंक)
विदेशी बैंक वो होते है जो किसी ओर देश मे कार्य करते है जब वो अपने कार्य को अपने देश की सीमाओं से बाहर ले जाते है या फिर सरल भाषा मे कहे जब कोई बैंक अपनी शाखा किसी दूसरे देश मे ओपन करते है तो उनको फॉरेन बैंक ( विदेशी बैंक ) कहाँ जाता है।
जो भी विदेशी बैंक दूसरे देश मे कार्य करता है उसको दो देशों के सेंट्रल बैंक के नियमों को मनाना पड़ता हैं इस को एक उदाहरण से समझ सकते है माना कि बैंक ऑफ अमरीका भारत मे अपनी शाखा ओपन करता है तो उसको अपने देश के सेंट्रल बैंक और भारत के सेंट्रल बैंक के नियमों को मनाना पड़ता है।
भारत मे अभी 45 विदेशी बैंक कार्य कर रहे है जैसे बैंक ऑफ अमरीका, स्टैण्डर्ड चेर्टेड आदि ।
4. Development bank
Development bank उनको कहाँ जाता है जो बैंक लंबे समय के लिए लोन देते है और नई इंडस्ट्री सेटअप करने के लिए लोन देते हैं। जैसे
Industrial finance co-operation of India (IFCI)
• Industrial development of India (IDBI)
• Industrial Investment Bank of India (IIBI)
• Small Industries Development Bank of India (SIDBI)
• National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD)
• Export-Import Bank of India
5. Small finance bank
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारत मे बैंकिंग में 2 तरह के नए बैंको को स्थापित किया जिसमे स्माल फाइनेंस बैंक ओर पेमेंट्स बैंक का उदय हुआ।
स्माल फाइनेंस बैंक सरकारी और प्राइवेट बैंक की तरह ही कार्य करते है पर छोटे लेवल पर करते है
ये बो सब कार्य करते सकते है जो सरकारी और प्राइवेट बैंक करते है पर इनके कार्य करने की कुछ सीमाएं सेंट्रल बैंक ने तय कर रखी है।
जैसे
1. हर स्माल फाइनेंस बैंक को अपने नाम के साथ स्माल फाइनेंस बैंक लगाना जरूरी है।
2. ये बैंक कोई भी अपनी सब्सिडरी कंपनी नही ओपन कर सकती है जैसे प्राइवेट बैंक अपनी सब्सिडरी कंपनी ओपन कर सकते है जैसे HDFC bank की सब्सिडरी है HDFC security, HDFC egro, HDFC mutual fund aadi.
3. एक स्माल फाइनेंस बैंक की कम से कम paid up capital 100 करोड़ होनी चाहिए।
4. एक स्माल फाइनेंस बैंक एक सरकारी बैंक बन सकता है पर सेंट्रल बैंक से परमिशन लेने के बाद ।
भारत मे अभी 10 स्मॉल फाइनेंस बैंक कार्य कर रहे है जैसे उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक, AU स्माल फाइनेंस बैंक, jana स्माल फाइनेंस बैंक, आदि
6. Paymants bank
पेमेंट्स बैंक बैंको का एक नया रूप है इन बैंक का उद्देश्य है कि अपने कस्टमर तक फ़ोन के जरिये पहुँचना है इन इन को हम पेपर लैस बैंक भी बोल सकते है क्युकी इनका कोई भी काम पेपर पर नही होता है इन बैंकों का सारा काम केवल फ़ोन या इंटरनेट पर ही होता है । सेंट्रल बैंक ने 11 paymnts बैंक को लाइंसेंस दिया है जैसे paytm पेमेंट्स बैंक , fino paymant bank, arital पेमेंट्स बैंक ।
स्माल बैंक की तरह इन बैंक पर भी सेंट्रल बैंक ने कुछ सीमाएं निधार्रित की जैसे।
1. कोई भी पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर से 100000 रुपए से ज्यादा की राशि जमा नही कर सकता है।
2. कोई भी पेमेंट्स बैंक क्रेडिट कार्ड ओर लोन नही दे सकता है।
3. पेमेंट्स बैंक atm, इंटरनेट बैंकिंग, फ़ोन बैंकिंग ये सारे काम कर सकते है।
आप के मन मे एक सवाल जरूर आता है कि जब पेमेंट्स लोन ओर क्रेडिट issue नही करते है तो इनको इनकम कैसे मिलती है।
पेमेंट्स बैंक अपना account दूसरे बैंक में ओपन करता है ओर अपना सारा पैसा उस एकाउंट में डालता है जिस पर सरकारी बैंक ज्यादा इंटरेस्ट देता है और फिर पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर को उस इंटेरेस्ट में से इंटेरेस्ट देता है ।
पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर को बहुत सारी सर्विसेज फ्री देता है।
2017 तक भारत मे 21 सरकारी बैंक और 6 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखाओं को मिलाकर 27 सरकारी बैंक भारत के काम करते थे।
2019 तक बैंको के विलय होने के कारण अब भारत मे 12 सरकारी बैंक कार्य कर रहे है। जैसे स्टेट बैंक इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बरोडा, आदि
2. Private bank ( प्राइवेट बैंक )
प्राइवेट बैंक से आशय है कि जब किसी बैंक की 50% से ज्यादा हिस्सेदारी निजी लोगो के पास होती है या फिर 50% से ज्यादा शेयर निजी लोगो के हाथ मे होते है और इन बैंकों के ऑपरेशन पर भारत सरकार का नियंत्रण नही होता है इस लिए ही प्राइवेट बैंक और सरकारी बैंक के ब्याज दरों में अंतर पाया जाता है।
अभी भारत मे कुल मिलाकर 21 प्राइवेट बैंक कार्य कर रहे है जैसे ICICI BANK, AXIS BANK, BANDHAN BANK, kotak mahindra bank etc.
3. Foreign bank ( विदेशी बैंक)
विदेशी बैंक वो होते है जो किसी ओर देश मे कार्य करते है जब वो अपने कार्य को अपने देश की सीमाओं से बाहर ले जाते है या फिर सरल भाषा मे कहे जब कोई बैंक अपनी शाखा किसी दूसरे देश मे ओपन करते है तो उनको फॉरेन बैंक ( विदेशी बैंक ) कहाँ जाता है।
जो भी विदेशी बैंक दूसरे देश मे कार्य करता है उसको दो देशों के सेंट्रल बैंक के नियमों को मनाना पड़ता हैं इस को एक उदाहरण से समझ सकते है माना कि बैंक ऑफ अमरीका भारत मे अपनी शाखा ओपन करता है तो उसको अपने देश के सेंट्रल बैंक और भारत के सेंट्रल बैंक के नियमों को मनाना पड़ता है।
भारत मे अभी 45 विदेशी बैंक कार्य कर रहे है जैसे बैंक ऑफ अमरीका, स्टैण्डर्ड चेर्टेड आदि ।
4. Development bank
Development bank उनको कहाँ जाता है जो बैंक लंबे समय के लिए लोन देते है और नई इंडस्ट्री सेटअप करने के लिए लोन देते हैं। जैसे
Industrial finance co-operation of India (IFCI)
• Industrial development of India (IDBI)
• Industrial Investment Bank of India (IIBI)
• Small Industries Development Bank of India (SIDBI)
• National Bank for Agriculture and Rural Development (NABARD)
• Export-Import Bank of India
5. Small finance bank
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने भारत मे बैंकिंग में 2 तरह के नए बैंको को स्थापित किया जिसमे स्माल फाइनेंस बैंक ओर पेमेंट्स बैंक का उदय हुआ।
स्माल फाइनेंस बैंक सरकारी और प्राइवेट बैंक की तरह ही कार्य करते है पर छोटे लेवल पर करते है
ये बो सब कार्य करते सकते है जो सरकारी और प्राइवेट बैंक करते है पर इनके कार्य करने की कुछ सीमाएं सेंट्रल बैंक ने तय कर रखी है।
जैसे
1. हर स्माल फाइनेंस बैंक को अपने नाम के साथ स्माल फाइनेंस बैंक लगाना जरूरी है।
2. ये बैंक कोई भी अपनी सब्सिडरी कंपनी नही ओपन कर सकती है जैसे प्राइवेट बैंक अपनी सब्सिडरी कंपनी ओपन कर सकते है जैसे HDFC bank की सब्सिडरी है HDFC security, HDFC egro, HDFC mutual fund aadi.
3. एक स्माल फाइनेंस बैंक की कम से कम paid up capital 100 करोड़ होनी चाहिए।
4. एक स्माल फाइनेंस बैंक एक सरकारी बैंक बन सकता है पर सेंट्रल बैंक से परमिशन लेने के बाद ।
भारत मे अभी 10 स्मॉल फाइनेंस बैंक कार्य कर रहे है जैसे उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक, AU स्माल फाइनेंस बैंक, jana स्माल फाइनेंस बैंक, आदि
6. Paymants bank
पेमेंट्स बैंक बैंको का एक नया रूप है इन बैंक का उद्देश्य है कि अपने कस्टमर तक फ़ोन के जरिये पहुँचना है इन इन को हम पेपर लैस बैंक भी बोल सकते है क्युकी इनका कोई भी काम पेपर पर नही होता है इन बैंकों का सारा काम केवल फ़ोन या इंटरनेट पर ही होता है । सेंट्रल बैंक ने 11 paymnts बैंक को लाइंसेंस दिया है जैसे paytm पेमेंट्स बैंक , fino paymant bank, arital पेमेंट्स बैंक ।
स्माल बैंक की तरह इन बैंक पर भी सेंट्रल बैंक ने कुछ सीमाएं निधार्रित की जैसे।
1. कोई भी पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर से 100000 रुपए से ज्यादा की राशि जमा नही कर सकता है।
2. कोई भी पेमेंट्स बैंक क्रेडिट कार्ड ओर लोन नही दे सकता है।
3. पेमेंट्स बैंक atm, इंटरनेट बैंकिंग, फ़ोन बैंकिंग ये सारे काम कर सकते है।
आप के मन मे एक सवाल जरूर आता है कि जब पेमेंट्स लोन ओर क्रेडिट issue नही करते है तो इनको इनकम कैसे मिलती है।
पेमेंट्स बैंक अपना account दूसरे बैंक में ओपन करता है ओर अपना सारा पैसा उस एकाउंट में डालता है जिस पर सरकारी बैंक ज्यादा इंटरेस्ट देता है और फिर पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर को उस इंटेरेस्ट में से इंटेरेस्ट देता है ।
पेमेंट्स बैंक अपने कस्टमर को बहुत सारी सर्विसेज फ्री देता है।
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